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एफबीआई प्रमुख कश पटेल और पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिफ मुनीर की हाथमिलाने की घटना ने क्यों भड़काया “देसी” समुदाय?

 


वॉशिंगटन डी.सी. में हाल ही में एक तस्वीर वायरल हुई है जिसमें एफबीआई निदेशक कश पटेल पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिफ मुनीर से हाथ मिला रहे हैं। इस सामान्य राजनयिक अभिवादन को लेकर भारत और विदेशों में रहने वाले “देसी” समुदाय (विशेषकर हिंदू एवं भारतीय मूल के लोग) में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर विवाद और दो ध्रुवी विचार हो गए। 

नीचे इस घटना के प्रमुख पहलुओं की समीक्षा की गई है। 


घटना का परिदृश्य:

इस मुलाकात की तस्वीर राष्ट्रपति कार्यालय (White House) द्वारा जारी की गई थी, जिसमें दोनों एक औपचारिक बैठक के दौरान अभिवादन करते दिखते हैं। 

कई स्थानों पर यह उल्लेख किया गया कि यह राजनयिक राजनीति और वैश्विक मामलों का हिस्सा हो सकता है, न कि व्यक्तिगत भावनाओं का संकेत। 

तस्वीर सामने आने के तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर भारतीय प्रवासी समुदाय समेत देश में इसे बहुत आलोचनात्मक दृष्टि से देखा गया। 


विवाद के कारक:

1. धार्मिक एवं सांस्कृतिक भावनाएँ
कुछ लोगों ने यह तर्क दिया कि कश पटेल हिंदू पृष्ठभूमि के हैं, जबकि आसिफ मुनीर ने सार्वजनिक रूप से “दो राष्ट्र सिद्धांत” और हिंदू-मुस्लिम विभाजन जैसे विचारों का समर्थन किया है। ऐसे विचारों के बीच हाथ मिलाने को कई लोगों ने निष्ठा और पहचान के दृष्टिकोण से विवादित माना। 


2. द्विपक्षीय तनाव एवं इतिहास
भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक तनाव, सीमा विवाद, आतंकवाद संबधी आरोप-प्रत्यारोप आदि मसलों के कारण, किसी भी प्रतीकात्मक संपर्क को अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है। ऐसे समय में अमेरिका के शीर्ष खुफिया अधिकारी का पाकिस्तान सेना प्रमुख के साथ हाथ मिलाना कई लोगों को भारत के प्रति अनौपचारिक झुकाव जैसा लगा। 


3. डिप्लोमैसी और संदेश
आलोचकों का कहना है कि इस तरह की मुलाकातें और सार्वजनिक अभिवादन संकेत देती हैं कि अमेरिका पाकिस्तान को “साफ-स्वीकृति” दे रहा है। इससे भारत के साथ अमेरिका की रणनीति और विश्वस्तरीय संदेशों को लेकर शंका उत्पन्न होती है। 


4. सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएँ और ध्रुवीकरण

एक तबका इसे “राष्ट्र और धर्म के ब्योरे की संवेदनशीलता” की उपेक्षा मान रहा है।

दूसरे ने इसे राजनयिक ज़रूरत और अमेरिका की विदेश नीति के हिस्से के रूप में देखा, और कहा कि सरकार और अधिकारियों को बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखना चाहिए।

कुछ टिप्पणियों ने कहा कि “क्या वह (पटेल) और उनके परिवार की सामाजिक-राजनीतिक छवि अब प्रभावित होगी?”

तो वहीं, अन्य लोग इस हाथमिलाने की घटना को “बहुत ही मामूली राजनयिक अभिवादन” कहकर उसकी अधिक महत्ता देने से इनकार कर रहे हैं।


आगे की चुनौतियाँ और निहितार्थ:

भारत–अमेरिका संबंधों पर यह घटना एक संवेदनशील मुद्दे के रूप में उभरी है। यदि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अधिक मेलजोल दिखाएगा, तो भारत में इस पर सवाल और दबाव बढ़ सकता है।

अमेरिकी विदेश नीति में पाकिस्तान को आतंकवाद एवं सुरक्षा मामलों में प्रयोग करने की प्रवृत्ति रही है, और इस हाथमिलाने को कई लोग उसी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं।

भारत का रोना यह है कि यदि किसी अमेरिकी अधिकारी को पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ मिलना हो, तो भारत की चिंताओं और संवेदनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

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