Sanjay Malhotra, Governor, RBI
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर कर्जदारों को त्योहारी सीजन में कोई तत्काल राहत नहीं दी है। बुधवार, 1 अक्टूबर, 2025 को हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। यह लगातार दूसरी बार है जब केंद्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर को स्थिर रखा है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति के फैसलों की घोषणा करते हुए कहा कि एमपीसी ने अपना रुख 'तटस्थ' (Neutral) बनाए रखा है। इसका मतलब है कि भविष्य में अर्थव्यवस्था के संकेतों और वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए दरें बढ़ाई या घटाई जा सकती हैं।
रेपो रेट यथावत, पर विकास दर का बढ़ा अनुमान
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है। इसमें बदलाव न होने से आपके होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई पर फिलहाल कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा, यानी वे जस की तस बनी रहेंगी।
हालांकि, गवर्नर मल्होत्रा ने देश की आर्थिक तस्वीर पर खुशी जाहिर की। उन्होंने वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। यह इस बात का संकेत है कि घरेलू मांग और मजबूत खपत के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बावजूद बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
मुद्रास्फीति (Inflation) के मोर्चे पर राहत
आरबीआई ने मुद्रास्फीति के अनुमान में भी बड़ी कटौती की है, जो भविष्य में दरों में कटौती की गुंजाइश बना सकती है।
FY26 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) का अनुमान 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया है।
गवर्नर ने बताया कि बेहतर मानसून, खाद्य कीमतों में गिरावट और जीएसटी दरों में हालिया कटौती के कारण मुद्रास्फीति काफी नियंत्रण में है। अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति गिरकर छह साल के निचले स्तर 2.07 प्रतिशत पर आ गई थी।
अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
'तटस्थ' रुख: एमपीसी ने सर्वसम्मति से नीतिगत रुख को 'तटस्थ' बनाए रखने का फैसला किया, जिसका अर्थ है कि आरबीआई भविष्य के आर्थिक आंकड़ों का इंतजार करेगा।
अन्य दरें भी स्थिर: स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) दर 5.25 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) दर 5.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहीं।
लोन सीमा में वृद्धि: बैंकों द्वारा शेयरों पर दिए जाने वाले लोन की सीमा को ₹20 लाख से बढ़ाकर ₹1 करोड़ कर दिया गया है। साथ ही, IPO के लिए फाइनेंसिंग की सीमा को भी ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹25 लाख कर दिया गया है।
बाजार का रुख: आरबीआई की घोषणा के बाद शेयर बाजार सकारात्मक रहा और सेंसेक्स व निफ्टी दोनों उछाल के साथ बंद हुए, क्योंकि मजबूत विकास अनुमानों ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया।
आगे क्या? आरबीआई पहले ही इस वर्ष (फरवरी से जून तक) रेपो रेट में कुल 100 आधार अंकों की कटौती कर चुका है। अब वह अपने पिछले फैसलों और सरकारी सुधारों के असर को देखना चाहता है। कई विश्लेषकों का मानना है कि अगर मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहती है, तो केंद्रीय बैंक दिसंबर में अपनी अगली बैठक में एक और रेट कट कर सकता है।
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