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क्या चीन ने भारत को संयुक्त राष्ट्र में वेटो शक्ति दी?

 


चीन ने हाल ही में एक सम्मेलन में भारत को वेटो (veto) अधिकार दिया है — ऐसी खबरें सोशल मीडिया और कुछ समाचार माध्यमों में तेजी से फैल रही हैं। लेकिन क्या यह द दावा सही है? इस लेख में हम इस सवाल की पड़ताल करेंगे।

नई दिल्ली, 02 October 2025: नहीं — ऐसी कोई आधिकारिक या विश्वसनीय सूचना मौजूद नहीं है कि चीन ने किसी सम्मेलन/घोषणापत्र के ज़रिये भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का वेटो (veto) दे दिया हो। वर्तमान व्यवस्था के तहत वेटो अधिकार केवल सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों के पास है, और किसी अन्य देश को वेटो देने के लिए संवैधानिक—कानूनी रूप से संघीय स्तर की (UN Charter) संशोधन प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें मौजूदा पाँचों स्थायी सदस्यों की सहमति अनिवार्य है — इसलिए सोशल-मीडिया पर फैलने वाले दावों को गलत माना जाना चाहिए। newschecker.in+1

1) वेटो (veto) का मतलब और कानूनी स्थिति:

  • क्या है: सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य — चीन, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस — के पास गैर-प्रक्रियात्मक (non-procedural) प्रस्तावों पर “नकारात्मक वोट” करने का अद्वितीय अधिकार है; किसी भी एक स्थायी सदस्य का नकारात्मक वोट उस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर सकता है। यह अधिकार UN के voting system के ढाँचे से निकलता है। United Nations

  • कौन दे सकता/किसे दे सकता है: वेटो किसी देश-स्तर पर “देने” की वस्तु नहीं है — यह स्थायी सदस्यता से जुड़ा अधिकार है। अतः किसी को वेटो देने का मतलब उस देश को स्थायी सदस्य बनाना होगा, जो सीधे-सीधे चार्टेर संशोधन/निष्पादन से जुड़ा मामला है। United Nations

2) क्या भारत को वेटो देने के लिए सिर्फ किसी सम्मेलन में “चीन का कहना” पर्याप्त होगा?

नहीं। UN चार्टर में संशोधन की प्रक्रिया (Article 108) स्पष्ट है: संशोधन को सामान्य सभा के दो-तिहाई वोट से स्वीकार करना होगा और फिर दो-तिहाई सदस्य राष्ट्रों द्वारा रैटिफाई कराना होगा — इसमें सब-सेटी पाँचों स्थायी सदस्यों (P5) की रैटिफिकेशन अनिवार्य है। मतलब: यदि किसी भी एक P5 (जैसे चीन) विरोध करे तो औपचारिक बदलाव नहीं हो सकता। इसलिए किसी एक देश के “सूक्ष्म-सहमति-संदर्भ” (या कथित समर्थन) से वेटो देना संभव नहीं। United Nations Office of Legal Affairs

3) राजनीतिक वास्तविकता — भारत की माँग, समर्थन और मुख्य बाधाएँ:

  • भारत की दावेदारी और अभियान: भारत G4 (Brazil, Germany, India, Japan) समूह में सक्रिय है और कई बार स्थायी सदस्यता के पक्ष में व्यापक कूटनीतिक अभियान चला चुका है; कुछ प्रमुख पश्चिमी और अफ्रीकी देशों से समर्थन भी मिला है। G4 ने हाल के दौरों/बयानों में वेटो-प्रश्न पर सीमाएँ/नियमों पर सहमति होने की बात भी स्वीकार की है। un.emb-japan.go.jp+1

  • मुख्य बाधाएँ: व्यवहारिक रूप से सबसे बड़ी बाधा यही है कि कई देश, विशेषकर एक-या-दो P5 और Uniting-for-Consensus ग्रुप (Italy-led “Coffee Club”, साथ में पाकिस्तान जैसे देश) नई स्थायी सीटों और वेटो के प्रसार के विरुद्ध हैं। विश्लेषकों के अनुसार चीन को लेकर भी अनिश्चितता बनी रहती है—कुछ विश्लेषण कहते हैं कि चीन नए एशियाई स्थायी सदस्यों को दीर्घकालिक रूप से स्वीकार नहीं करेगा। अतः राजनीतिक सहमति जुटाना बेहद कठिन है। South China Morning Post+1

4) हाल के घोषणाएँ/वायरल क्लिप — कहाँ से भ्रम हुआ?

  • पिछले साल (और बाद में) कई वायरल वीडियो/पोस्ट आए जिनमें दावा किया गया कि भारत को स्थायी सीट और वेटो दे दिया गया है। इन दावों की जांच-पड़ताल (fact-checks) में उन्हें भ्रामक/फर्जी पाया गया — आधिकारिक UN संचार या किसी भरोसेमंद समाचार एजेंसी ने ऐसा कोई निर्णय प्रकाशित नहीं किया। आम तौर पर ये क्लिप या तो पुराना संदर्भ ले कर, या नेताओं की तारीफ़/समर्थन की कट-पीस्ट क्लिप को गलत निष्कर्ष के साथ पेश कर देती हैं। इसलिए स्रोत की जाँच ज़रूरी है। TheQuint+1

5) व्यवहार्य रास्ते / सुधार के विकल्प — वास्तविक संभावनाएँ क्या हैं?

  • सजग तथ्य: आधिकारिक चार्टर-संशोधन (Article 108 के तहत) ही पूर्ण और कानूनी मार्ग है — पर यह कठिन और धीमी प्रक्रिया है क्योंकि सभी P5 की सहमति चाहिए। इसलिए कई विशेषज्ञ और संस्थाएँ “नॉन-अमेंडमेंट” (non-amendment) उपाय सुझाती हैं — जैसे कि संवैधानिक कार्य-प्रणाली में व्यवस्थाएँ, स्थायी सदस्यों के अधिकार-सीमाएँ तय करना, या नए प्रकार के “दीर्घकालिक/विशेष” सीटों का निर्माण जो वेटो से न जुड़े हों। ये उपाय तकनीकी रूप से चार्टर-संशोधन जितने प्रभावशाली न भी हों तो भी व्यवहारिक सुधार के तौर पर अपना काम कर सकते हैं। Carnegie Endowment+1

  • वेटो-सीमाएँ (veto limitations): कुछ शक्तिशाली देश और कई सदस्य राज्यों ने यह प्रस्ताव रखा है कि वेटो का प्रयोग मानवीय नरसंहार/जनसंहार जैसी परिस्थितियों में सीमित किया जाए — इस पर भी चर्चा चल रही है लेकिन P5 में सहमति कम ही दिखती है। Gate Center

6) भारत की रणनीति और क्या अपेक्षा रखें?

  • लॉन्ग-टर्म: रीयलिस्टिक परिप्रेक्ष्य यह है कि अगले कुछ वर्षों में भारत को पूर्ण वेटो-सत्ता मिलना बहुत ही कठिन है। परंतु भारत को स्थायी सदस्यता, या कम-से-कम किसी ‘नया-स्थायी/दीर्घकालिक’ श्रेणी में शामिल करने के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने का अवसर मिल रहा है (G4 समर्थन, कुछ P5 की सकारात्मक अभिव्यक्ति)। un.emb-japan.go.jp+1

  • कूटनीतिक चालें: भारत की ताकत उसकी भूमिका—शान्ति अभियानों में योगदान, वैश्विक विकास/जलवायु/विकास सहायता, और बढ़ती आर्थिक-रणनीतिक उपस्थिति—इन बिंदुओं के सहारे और बढ़ेगी। परन्तु चार्टर-स्तरीय बदलाव के लिए वैश्विक राजनीतिक संतुलन बदलना पड़ेगा। MEA India+1

7) अंत में — संक्षिप्त सुझाव (पाठक-के-लिए)

  1. किसी भी “ब्रीफ/वीडियो” या घोषणा को आधिकारिक स्रोत-जाँच से परखें — संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक साइट और भरोसेमंद fact-checkers देखें। United Nations+1

  2. याद रखें कि वेटो अधिकार सिर्फ़ P5 से जुड़ा संवैधानिक अधिकार है; इसे किसी एक देश के बयान से बदलना सरल नहीं। United Nations Office of Legal Affairs

  3. यदि आप चाहें तो मैं एक हिंदी न्यूज-रिपोर्ट (न्यूज़ टोन में संक्षिप्त लेख) तैयार कर दूँ जो अभी उपलब्ध तथ्यों, सरकारी बयानों और विशेषज्ञों के विश्लेषण को संकलित करे — या फिर मैं उसी सामग्री से एक FAQ/फैक्ट-चेक पोस्ट भी बना सकता हूँ। (आप बताइए किस फॉर्मैट में चाहेंगे।)


स्रोत (मुख्य संदर्भ — पढ़ने हेतु)

  • United Nations — Voting system / Right to veto (Security Council). United Nations

  • UN Charter — Article 108 (Amendments) / आधिकारिक कानूनी व्याख्या. United Nations Office of Legal Affairs

  • South China Morning Post / विश्लेषण: चीन की भूमिका और भारत के लिए बाधाएँ. South China Morning Post

  • G4 (Brazil, Germany, India, Japan) — संयुक्त बयान / UNSC-reform पर हालिया टिप्पणियाँ. un.emb-japan.go.jp

  • Newschecker / The Quint / अन्य fact-checkers — वायरल दावों का सत्यापन (फर्जी/भ्रामक पाया गया). newschecker.in+1

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